दिल्ली में घूमती हैवानो की भीड़

दिल्ली के बाशिंदे हैवानियत की सारी सीमाएँ रोंदते जा रहे हैं, आखिर इसका ज़िम्मेदार कौन है?  हर बलात्कारी को पता है कि वह एक ना एक दिन पकड़ा ही जाएगा, उसके बावजूद बलात्कार की घटनाएं इस कदर तेज़ी से बढ़ रही हैं।


परसों बस के अन्दर एक मासूम बच्ची के साथ बलात्कार किया गया, कल एक नेपाली युवती के साथ गैंग रेप और अब गांधी नगर इलाके में बच्ची से किराएदार के कई दिनों तक रेप करने का मामला सामने आ रहा है। हैरान कर देने वाली बात यह है कि अस्पताल में जिंदगी के लिए लड़ाई लड़ रही इस मासूम के पेट से डॉक्टरों को प्लास्टिक की शीशी और मोमबत्ती मिली है।
नर्सरी में पढ़ने वाली इस बच्ची को बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर पर रहने वाले युवक ने ही अगवा किया था। घरवाले बच्ची को इधर-उधर ढूंढते रहे, जबकि बच्ची उन्हीं के नीचे के कमरे में चार दिनों तक भूखी-प्यासी कैद रही। बच्ची के हाथ-पैर बांध दिए गए थे और बुरी तरह पीटा भी गया। वोह तो अचानक बच्ची के पिता को उसके रोने की आवाज़ आई, वर्ना वोह मासूम वहीँ दम तोड़ देती।

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जागते रहो

मेरे द्वारा सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज़ उठाने पर यह नहीं समझ लेना कि मैं कोई संत हूँ और बुराइयाँ मेरे अंदर नहीं हैं... बल्कि मेरा मानना है कि मेरे आवाज़ उठाने से सबसे पहला फायदा मुझे ही होगा... कोई माने ना माने, मेरे स्वयं के मान जाने की तो पूरी उम्मीद है ही...

जहाँ मुझे लगता है कि कोई बुराई समाज में व्याप्त है, वहां आवाज़ उठता हूँ, जिससे कि वह बुराई मेरे अन्दर से समाप्त हो जाए।

'जागते रहो' कि सदा लगाने वाले का मकसद कम-अज़-कम खुद को जगाने का तो होता ही है...


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