पत्रकारिता और उसका विरोध

पत्रकार कोई क्रन्तिकारी नहीं होता और ना ही उनका काम जनता की राय बनाना होता है बल्कि पत्रकारिता का मक़सद केवल जनता की राय को सामने लाना और इसी तरह किसी घटना के पीछे छुपे सच को बाहर लाना होना चाहिए।


हालाँकि इस कवायद में अक्सर तीखे सवाल किये जाते हैं, जिसमें से  बहुत सी बातें हमें पसंद आ सकती हैं और बहुत सी नापसंद। ऐसे में एक अच्छे लीडर का काम है विचलित हुए बिना धैर्य और चतुराई से जवाब देना। 

जहाँ तक आम आदमी की बात है तो उनसे केवल सम्बंधित विषय पर राय ही मांगी जा सकती है। ऐसे में किसी नेता या उसके समर्थकों के द्वारा पत्रकार की अभिव्यक्ति पर विचलित होना, गुस्सा दिखाना, साक्षात्कार को बीच में छोड़ देना या फिर कानून को अपने हाथ में लेने जैसे कृत निंदनीय हैं।

ऐसे कृत फासिस्ट मानसिकता को दर्शाते हैं, क्योंकि फ़सिज्म की पहचान ही यही है कि इसमें अपने खिलाफ उठने वाली किसी भी आवाज़ को कभी भी बर्दाश्त नहीं किया जाता।





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जयललिता पर कोर्ट का फैसला गुनाहगार नेताओं के खिलाफ फिर से उम्मीद जगा रहा है

कुछ नेता गुनाहगार होने के बावजूद जनता को मानसिक गुलाम बनाकर चुनाव जीत जाते हैं और देश के सर्वोच्य पदों तक पहुँच जाते हैं... फिर उसपर सोचते हैं कि उनका बाल भी बांका नहीं होगा, हालाँकि हमारे देश में इनका अबतक कुछ बिगड़ता भी नहीं था।


मगर कुछ दिनों से नेताओं पर आए कोर्ट के फैसले इंसाफ की उम्मीद जगा रहे हैं, जयललिता पर आया फैसला भी इसी की एक कड़ी है! अगर देश के लोग जागरूक हो जाएं तो बाकी बचे अपराधी भी अपनी सही जगह पहुँच जाएं!





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क्या पीएम की आगवानी के लिए एक भी अमेरिकी प्रतिनिधि का ना होना देश का अपमान नहीं है?

क्या यह देश का अपमान नहीं कि हमारे देश का प्रधानमंत्री अमेरिकी यात्रा पर पहुंचे तो आगवानी के लिए वहां का कोई छोटे से छोटा मंत्री भी नहीं पहुंचे, यहाँ तक कि किसी को आगवानी के लिए ऑफिशियली अपोइंट भी ना किया जाए? हमारी एम्बेसी को उन्हें रिसीव करना पड़े!


यह हाल तब है जबकि उनका वर्तमान तो क्या अगर भूतपूर्व राष्ट्राध्यक्ष भी हमारे यहाँ आता है तो हम अपनी पलकें तक बिछा देते हैं! मेहमान नवाज़ी में कोई कसर नहीं छोड़ते।

कुछ लोगो का विचार है कि वोह यूनाइटेड नेशंस की सभा में भाग लेने गए हैं, अमेरिकी यात्रा पर नहीं। अगर इस तर्क को मान भी लिया जाए तो क्या अमेरिका की कोई ज़िम्मेदारी नहीं बनती? हमारे देश में सार्क देशों के सम्मलेन में आने वाले प्रतिनिधियों का भी हम ऐसे ही स्वागत करते हैं जैसे बाकी समय आए किसी प्रतिनिधि का। 

मैं बात-बात में अमेरिका की रट लगाने वालों से पूछना चाहता हूँ कि यह किस तरह का आचरण है कि कोई राष्ट्राध्यक्ष उनके देश में पधारे तो उसकी आगवानी भी ना की जाए? 

हमारे देश की विश्व में एक अहमियत है और देश का प्रधानमंत्री कोई एक व्यक्ति भर नहीं बल्कि 122 करोड़ लोगो का प्रतिनिधि होता है। फिर चाहे वह यूनाइटेड नेशंस की सभा में भाग लेने के लिए ही अमेरिका क्यों ना गए हों तब भी देश के प्रधानमंत्री को कम से कम इतना सम्मान तो मिलना ही चाहिए!





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चिड़ियाघर जैसे हादसे और जवाबदेही

एक नौजवान, शेर से अपनी जान की भीख मांगता रहा, बेहिस लोग वीडियो बनाने में मशगूल थे और सिक्योरिटी सोती रही... 15 मिनट बाद सुरक्षा कर्मियों की नींद खुली, पर अफ़सोस कि तब तक उस बेचारे के प्राण पखेरू उड़ चुके थे 

परेशानी का सबब यह एक हादसा भर नहीं है बल्कि यह भी है कि कहीं भी, किसी की भी कोई जवाबदेही तय नहीं है...

केवल कोई चिड़ियाघर ही नहीं बल्कि अगर कही भी सुरक्षा का अच्छा प्रबंध, चाकचौबंद व्यवस्था नहीं हो सकती है तो या तो उसे आम पब्लिक के लिए बंद कर देना चाहिए या फिर चेतावनी लिख देनी चाहिए कि हम असमर्थ हैं, अपनी रक्षा स्वयं करें!

देश के हर एक नागरिक का फ़र्ज़ है ना सिर्फ अपनी जान की हिफाज़त करना बल्कि देश / प्रशासन के द्वारा बनाए कानूनों / नियमों का पालन करना, हमें यह समझना होगा कि यह नियम स्वयं हमारी सुरक्षा के लिए ही बनाए जाते हैं!

हालाँकि इस सत्य से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि देश में हर इक का बौद्धिक स्तर इतना बेहतर नहीं होता कि नियमों के अनुसार चलें साथ ही साथ यह भी बात है कि अक्सर वोह लोग भी रोमांच / सैडनेस इत्यादि में जान जोखिम में डाल देते हैं जो नार्मल लाइफ में सजग रहते हैं।

और इसी कारण सरकार सुरक्षा के सख्त मानकों का पालन करती है, जैसे कि हेलमेट ना पहनने से ड्राइव करने वाले को खतरा होता है फिर भी लोग नहीं पहनना चाहते, मगर सरकार ने अनिवार्य कर रखा है।

इसी तरह कोई भी प्रशासन केवल यह लिखकर हाथ नहीं झाड सकते कि आगे खतरा है। बल्कि ऐसी जगहों पर कम से कम 12-15 फुट जाली होना अति-आवश्यक है, जबकि वहां 2-3 फुट की जाली ही लगी हुई है। साथ ही दुर्घटना होने की स्थिति में ट्रेंड सुरक्षा कर्मी कम से कम ऐसे स्थानों पर अवश्य मौजूद रहने चाहिए।





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