बोर होने से बचाने का पूरा इंतज़ाम होता है, यहाँ सामान बेचने के लिए हसीन सी आवाज़ें निकाल-निकाल कर राहगीरों का मनोरंजन किया जाता है! tongue emotico
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इस्लाम में 'इंसाफ' बेहद अहम है, बल्कि इस्लामिक स्कॉलर्स मानते हैं कि रूह की तरह है, मतलब अगर 'इस्लाम' का कोई और नाम हो सकता है तो वोह 'इंसाफ' है। इसमें किसी भी तरह की छोटी सी भी 'नाइंसाफी' को जायज़ नहीं ठहराया जा सकता। जो लोग इस्लामिक बातों को तोड़-मरोड़ कर ऐसा करने की कोशिश करते हैं, दर-असल वोह कहीं ना कहीं आतंकी प्रोपेगेंडा का हिस्सा या फिर शिकार हैं।
आज का समय खासतौर पर मुस्लिम जगत के लिए बेहद Crucial (महत्वपूर्ण) है, सतर्क रहने की ज़रूरत है। इसलिए जहाँ भी आपको लगे कि इस्लामिक बातों से किसी 'नाइंसाफी' को जस्टिफाई करने की कोशिश हो रही है तो उसे हरगिज़ सच नहीं माने और खूब अच्छी तरह तस्दीक़ करें।
क्या फ़्रांस के बेगुनाहों की मौत का बदला सीरिया के बेगुनाहों की हत्या करके लिया जा सकता है या लिया जाना चाहिए? गुनाह का बदला गुनहगारों से लिया जाना चाहिए ना कि बेगुनाहों से और दुनिया की किसी भी लड़ाई में आम नागरिकों के हम 50-55 प्रतिशत वोटिंग पर खुश हो जाते हैं और तर्क देते हैं कि यह पहले से ज़्यादा है और उस पर 20-30 प्रतिशत वोट लेने वाले प्रतिनिधि नियुक्त हो जाते हैं... पर क्या इतने कम वोटों से चुना गया व्यक्ति वाकई में क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि इस सिनेरियो की जड़ में जाया जाए तो पता चलता है कि विजयी प्रत्याशी के समर्थकों की तुलना में विरोधी कई गुना ज़्यादा होते हैं?
सिर्फ विरोधियों को ही नहीं बल्कि मुसलामानों को भी ईधी साहब से सीखना चाहिए कि
दुनिया के शुरू से ही इस्लाम की बुनियाद तौहीद अर्थात "ला'इलाहा इल्लल्लाह" है, जिसका तात्पर्य है कि इस ब्रह्माण्ड की हर चीज़ कुछ भी करने में ईश्वर की मोहताज है! मतलब 'सूर्य' रौशनी देने या 'पृथ्वी' जीवन देने में उसके हुक्म के मोहताज है, क्योंकि पॉवर सेंटर केवल एक अल्लाह है... इसका मतलब यह हुआ कि बाकी चीज़ें प्रशंसनीय तो हो सकती हैं परन्तु पूजनीय नहीं!
उदहारण के लिए अगर हम सूर्य की प्रशंसा करते हैं कि इसमें उसके बनाने वाले की प्रशंसा भी स्वत: ही निहित हो जाती है पर अगर हम यह सोच कर चलते हैं कि सूर्य स्वयं में एक ताकत है जिससे हमें कोई फायदा पहुँच सकता है तो यह उसकी पूजा तथा उसके पावर सेंटर और क्रिएटर की अवहेलना हुई! अगर 'सृजन' (Creation) की प्रशंसा में 'सर्जक' (Creator) की भूमिका का भी एहसास है तो यह सही है पर अगर 'सृजन' की प्रशंसा करते समय उसे 'सर्जक' की उपमा दे दी जाए तो यह मिथ्या बात हुई!
मतलब क्या प्रधानमन्त्री महोदय यह कहना चाहते हैं कि भाजपा प्रशंसकों को इस सरकार के आने से पहले ख़ुद के भारतीय होने पर शर्म आती थी? हज़रत मुहम्मद (स.) ने मालूम किया कि इस्लाम का सबसे मज़बूत अमल क्या है?आपके सहाबा (साथियों) ने जवाब दिया कि "नमाज़"आपने कह...
Posted by Shah Nawaz on Monday, April 6, 2015