इस्लाम के नाम पर फैलाए जा रहे आतंक के खात्मे की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी मुसलामानों की ही है
इबादत का मतलब है 'हक़ अदा करना'
गलती किसी की, सजा किसी को...
ब्रेनवॉश्ड होने का मुख्य कारण है अंधविश्वास
राजनीति में भी चलती है बाबागिरी
काश ऐसा हो!
साम्प्रदायिकता से निपटने में ओखला के लोगो ने मिसाल कायम की
(Image Source: Indian Express) |
रब की ताकत और उसका निज़ाम
हालाँकि वह खुद उस निज़ाम पर पाबन्द नहीं है और इंसानो को यह दर्शाने के लिए अक्सर वह निज़ाम से इतर चीज़ें दुनिया में दिखाता रहता है, जैसे कि उसने आदम (अ.) को बिना माँ-बाप और ईसा मसीह (अ.) को बिना बाप के पैदा किया।
ठीक इसी तरह हर इक काम उसके हुक्म से होता है यह उसकी ताकत है और हमसे सम्बंधित काम हमारी मर्ज़ी और कोशिश के एतबार से ही अंजाम दिए जाते हैं यह उसका निज़ाम है! जिससे कि हमारे कर्मों का हमसे हिसाब लिया सके।
शुक्रगुज़ार बंदा क्यों ना बनूँ?
हमारा रब हमें रात-दिन अनेक खुशियाँ अता करता है, मगर उनसे खुश होना और शुक्रगुज़ार बनना तो दूर, अक्सर को तो हम खुशियों में शुमार भी नहीं करते हैं।
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एक-दूसरे की भावनाओं का ख़याल रखना हमारा फ़र्ज़ है
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पत्रकारिता और उसका विरोध
पत्रकार कोई क्रन्तिकारी नहीं होता और ना ही उनका काम जनता की राय बनाना होता है बल्कि पत्रकारिता का मक़सद केवल जनता की राय को सामने लाना और इसी तरह किसी घटना के पीछे छुपे सच को बाहर लाना होना चाहिए।
हालाँकि इस कवायद में अक्सर तीखे सवाल किये जाते हैं, जिसमें से बहुत सी बातें हमें पसंद आ सकती हैं और बहुत सी नापसंद। ऐसे में एक अच्छे लीडर का काम है विचलित हुए बिना धैर्य और चतुराई से जवाब देना।
जहाँ तक आम आदमी की बात है तो उनसे केवल सम्बंधित विषय पर राय ही मांगी जा सकती है। ऐसे में किसी नेता या उसके समर्थकों के द्वारा पत्रकार की अभिव्यक्ति पर विचलित होना, गुस्सा दिखाना, साक्षात्कार को बीच में छोड़ देना या फिर कानून को अपने हाथ में लेने जैसे कृत निंदनीय हैं।
ऐसे कृत फासिस्ट मानसिकता को दर्शाते हैं, क्योंकि फ़सिज्म की पहचान ही यही है कि इसमें अपने खिलाफ उठने वाली किसी भी आवाज़ को कभी भी बर्दाश्त नहीं किया जाता।
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जयललिता पर कोर्ट का फैसला गुनाहगार नेताओं के खिलाफ फिर से उम्मीद जगा रहा है
कुछ नेता गुनाहगार होने के बावजूद जनता को मानसिक गुलाम बनाकर चुनाव जीत जाते हैं और देश के सर्वोच्य पदों तक पहुँच जाते हैं... फिर उसपर सोचते हैं कि उनका बाल भी बांका नहीं होगा, हालाँकि हमारे देश में इनका अबतक कुछ बिगड़ता भी नहीं था।
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क्या पीएम की आगवानी के लिए एक भी अमेरिकी प्रतिनिधि का ना होना देश का अपमान नहीं है?
क्या यह देश का अपमान नहीं कि हमारे देश का प्रधानमंत्री अमेरिकी यात्रा पर पहुंचे तो आगवानी के लिए वहां का कोई छोटे से छोटा मंत्री भी नहीं पहुंचे, यहाँ तक कि किसी को आगवानी के लिए ऑफिशियली अपोइंट भी ना किया जाए? हमारी एम्बेसी को उन्हें रिसीव करना पड़े!
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चिड़ियाघर जैसे हादसे और जवाबदेही
हालाँकि इस सत्य से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि देश में हर इक का बौद्धिक स्तर इतना बेहतर नहीं होता कि नियमों के अनुसार चलें साथ ही साथ यह भी बात है कि अक्सर वोह लोग भी रोमांच / सैडनेस इत्यादि में जान जोखिम में डाल देते हैं जो नार्मल लाइफ में सजग रहते हैं।
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