दमन में नई सुबह तैयार है दिल्ली के एक ब्लॉगर का स्वागत करने के लिए, या यूँ कहूँ की झेलने के लिए...
कल रात दिल्ली से मुबई पहुंचा तथा रात को ही दमन के लिए निकल गया था, देर रात दमन पहुंचा. रात के 1 बजे सूनसान सा था दमन, देखते हैं दिन में कैसा होगा?
अभी नाश्ता करके तैयार हूँ, बल्कि यूँ कहूँ कि बेताब हूँ दमन से रुब-रु होने के लिए.
दमन में अगर कोई ब्लॉगर बंधू है तो संपर्क करे... :-)
Keywords: Daman & Div, journey
मुबारकां जी मुबारकां।
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जै हिन्दी, जै ब्लॉगिंग।
घर जाने को सूर्पनखा जी, माँग रहा हूँ भिक्षा।
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
ReplyDeleteबिन निज भाषा ज्ञान के, मिटत न हिय को शूल।।
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हिन्दी दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
दिन मैं चीकू के बाग देख आयें. दारू कि दुकानों से दूर रहें. सर्द हवाओं से बचें. और फिर क्या मज़ा करें और लौटते समय मुंबई मैं कुछ समय अवश्य बिताएं. :)
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत जगह है दमन. आगे का विवरण देते रहें.
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