ग़ालिब की नगरी दिल्ली से हूँ, एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी में कार्यरत हूँ और विज्ञापन से जुड़े कार्य संभालता हूँ.
मेरा यह मानना है कि विचारों में चाहे विरोधाभास हो, आस्था में चाहे विभिन्नताएं हो परन्तु मनुष्य को ऐसी वाणी बोलनी चाहिए कि बात के महत्त्व का पता चल सके. अहम् को छोड़ कर मधुरता से सुवचन बोलें जाएँ तो जीवन का सच्चा सुख मिलता है.
मैं एक साधारण सा मनुष्य हूँ, और मनुष्य का स्वाभाव ही ईश्वर ने ऐसा बनाया है कि गलतियाँ हो जाती हैं. इसलिए गलती मुझसे हो सकती है और अपनी गलती पर मैं हमेशा माफ़ी मांगता हूँ. अगर कहीं कुछ गलती हो गई हो तो क्षमा का प्रार्थी हूँ.
-शाहनवाज़ सिद्दीकी
impressive shah
ReplyDeleteशाह साब एक सवाल है और आवश्यक व् अर्जेन्ट है,,, हलाला के लिए दूसरे पति से निकाह को कितने दिन तक झेलना जरुरी है,, कोई 90 दिन कहता है कोई कहता बेशक एक रात किन्तु शारीरिक सम्बंध और कोई कहता है कि निक़ाह के बाद पहला मासिक आने तक उसके साथ रहना होगा,,, कृपया सही जवाब दें धन्यवाद
ReplyDeleteApni hawas aur apna kam nikalne ke baad.jese lady koi doll ho
DeleteJab man bhar gya to doll ko fake diya.just like uske baad tabhi ka manzer vo rudivadi mansikta wahi jab miya ne begam se naraj ho kar bol diya 3 talak talak talak talak.wah Ji ho gya rashta safff.vahh re bande mera Bharat mahan��������