विरोध करने के लिए विरोध करना भी आना चाहिए। अगर किसी को लगता है कि कोई बात गलत है, तो हो-हल्ला मचाने से पूर्व सबसे पहले उसके बारें में पूरी जानकारी हासिल करना चाहिए। इससे कई बातें सामने आ सकती हैं। जैसे कि:
1. हो सकता है कि जो हम सोच रहे हैं, वह बात बिलकुल वैसी ही निकले।
2. इस बात की भी पूरी संभावना है कि जो हम सोच रहे हैं, बात वैसी नहीं हो।
3. हर बात के अच्छे और बुरे पहलु हो सकते हैं, क्योंकि समय और समझ के हिसाब से हर बात का अलग महत्त्व होता है।
4. विरोधियों की और समर्थन करने वालो की बातों पर एकदम से पूरा विश्वास नहीं करना चाहिए. क्योंकि विरोधी अक्सर अच्छी बातों का भी विरोध करते हैं, वहीँ समर्थक बुरी बातों का भी समर्थन करते हैं।
5. बल्कि सही रास्ता तो यही है, कि विरोधियों और समर्थकों की बातों का तथा सम्बंधित विषय का पूरी तरह से अध्यन करके ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचना चाहिए।
6. सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है, कि सिक्के का एक ही पहलु देखने की जगह बात अगर किसी से सम्बंधित है तो उसके विचारों का भी अध्यन करना चाहिए।
- शाहनवाज़ सिद्दीकी
1. हो सकता है कि जो हम सोच रहे हैं, वह बात बिलकुल वैसी ही निकले।
2. इस बात की भी पूरी संभावना है कि जो हम सोच रहे हैं, बात वैसी नहीं हो।
3. हर बात के अच्छे और बुरे पहलु हो सकते हैं, क्योंकि समय और समझ के हिसाब से हर बात का अलग महत्त्व होता है।
4. विरोधियों की और समर्थन करने वालो की बातों पर एकदम से पूरा विश्वास नहीं करना चाहिए. क्योंकि विरोधी अक्सर अच्छी बातों का भी विरोध करते हैं, वहीँ समर्थक बुरी बातों का भी समर्थन करते हैं।
5. बल्कि सही रास्ता तो यही है, कि विरोधियों और समर्थकों की बातों का तथा सम्बंधित विषय का पूरी तरह से अध्यन करके ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचना चाहिए।
6. सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है, कि सिक्के का एक ही पहलु देखने की जगह बात अगर किसी से सम्बंधित है तो उसके विचारों का भी अध्यन करना चाहिए।
- शाहनवाज़ सिद्दीकी
आप से सही बात बताई
ReplyDeleteधन्यवाद्
nice post
ReplyDeleteumda vichar
ReplyDeleteManner ? क्या महिला ब्लॉगर्स और इन पुरूष बुद्धिजीवियों से मेरी शिकायत वाजिब है या ग़ैर वाजिब है ?
ReplyDeletehttp://vedquran.blogspot.com/2010/06/manner.html
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ReplyDelete@ honesty project democracy
ReplyDeleteझा जी आप सामाजिक मूल्यों से जुड़े हुए एक सच्चे प्रहरी हैं. सामाजिक कार्यों पर आपकी पकड़ और महत्वपूर्ण योगदान सराहनीय है. आशा करता हूँ आपकी यात्रा मंगलमय और लक्ष्य को पाने वाली हो.
बिल्कुल सही बात कही।
ReplyDeleteजय भीम
ReplyDeletesahi kaha aapne.
ReplyDeleteबिलकुल सही कहा आपने। आभार।
ReplyDeleteआपके तर्कों से सहमत
ReplyDeleteथोडा सा इंतज़ार कीजिये, घूँघट बस उठने ही वाला है - हमारीवाणी.कॉम
ReplyDeleteआपकी उत्सुकता के लिए बताते चलते हैं कि हमारीवाणी.कॉम जल्द ही अपने डोमेन नेम अर्थात http://hamarivani.com के सर्वर पर अपलोड हो जाएगा। आपको यह जानकार हर्ष होगा कि यह बहुत ही आसान और उपयोगकर्ताओं के अनुकूल बनाया जा रहा है। इसमें लेखकों को बार-बार फीड नहीं देनी पड़ेगी, एक बार किसी भी ब्लॉग के हमारीवाणी.कॉम के सर्वर से जुड़ने के बाद यह अपने आप ही लेख प्रकाशित करेगा। आप सभी की भावनाओं का ध्यान रखते हुए इसका स्वरुप आपका जाना पहचाना और पसंद किया हुआ ही बनाया जा रहा है। लेकिन धीरे-धीरे आपके सुझावों को मानते हुए इसके डिजाईन तथा टूल्स में आपकी पसंद के अनुरूप बदलाव किए जाएँगे।....
अधिक पढने के लिए चटका लगाएँ:
http://hamarivani.blogspot.com
वाह, शानदार
ReplyDeletevivj2000.blogspot.com
सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है, कि सिक्के का एक ही पहलु देखने की जगह बात अगर किसी से सम्बंधित है तो उसके विचारों का भी अध्यन करना चाहिए।
ReplyDeleteसमर्थन और विरोध। समर्थक और विरोधी। दोनो ही परिस्थितियों मे 'विषय' का ज्ञात न होना और भेड़िया धसान की तरह शामिल हो गये भीड़ मे। यही होते आ रहा है और हो भी न क्यों भाई आज की इस बेरोजगारी मे यदि भीड़ बढ़ाने की कीमत मिल जाये बेरोजगारों को तो भाड़ मे जाय समर्थन और विरोध। सुंदर विचार और व्यंग्य की शक़ल में।
ReplyDeleteएक दूसरे के पीछे लाइन लगाने के बजाय काश भेड़ों ने कभी आसमान भी देखा होता ...
ReplyDelete:-) बिलकुल सही....
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