बाहर मानसून का मौसम है,
लेकिन हरिभूमि पर
हमारा राजनैतिक मानसून
बरस रहा है।
आज का दिन वैसे भी खास है,
बंद का दिन है और हर नेता
इसी मानसून के लिए
तरस रहा है।
मानसून का मूंड है इसलिए
इसकी बरसात हमने
अपने ब्लॉग
प्रेम रस
पर भी कर दी है।
राजनैतिक गर्मी का
मज़ा लेना,
इसे पढ़ कर
यह मत कहना
कि आज सर्दी है!
मेरा व्यंग्य: बहार राजनैतिक मानसून की
- शाहनवाज़ सिद्दीकी "साहिल"
आप कारोबार में जितना ज़्यादा मेहनत करते हैं उतना ही कम कमाते हैं
-
जब आप अपने कारोबार में ज़्यादा मेहनत करते हैं तो उसके दो नुकसान होते हैं,
एक तो कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए ज़रूरी नेटवर्क को बनाने के साथ-साथ बाकी
कारो...
Kya bat hai shah ji, post ke liye post.... abhi padhta hu apka राजनैतिक मानसून
ReplyDeleteशाहनवाज़ भाई व्यंग के साथ-साथ कविता भी बहुत मजेदार है. वह क्या बात है!
ReplyDeleteआपके ब्लॉग का नाम तो छोटी बात है, लेकिन बातें आपकी बहुत बड़ी होती हैं?
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ReplyDeleteआपने मौसम को और रंगीन बना दिया
ReplyDeleteबारिश के मौसम के ऊपर एक अच्छी कविता है. शाहनवाज़ जी हिजाब के ऊपर मैंने एक लेख लिखा है, मेरे ब्लॉग पर देखिये.
ReplyDeleteआज का दिन वैसे भी खास है,
ReplyDeleteबंद का दिन है और हर नेता
इसी मानसून के लिए
तरस रहा है।
achhi kavita hai, mazedar hai ;)
शानदार कविता, मैंने आपका व्यंग्य भी पढ़ा है, यह हरिभूमि अखबार कहां मिलता है, मुझे हिंदी पसंद है, लेकिन यह अख़बार का नाम नहीं सुना.
ReplyDeleteसुंदर लेख ।
ReplyDeletekhubsurat lekh k liye badhai
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