कोरोना मामलों में मीडिया का धार्मिक दुष्प्रचार
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24 मार्च तक बहुत सारे मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारों में लोग सरकारी प्रतिबंधों
के बावजूद आ-जा रहे थे और इस कारण लॉक डाउन होने पर फंस गए। क्योंकि तब तक
सरकार ही...
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:)))
ReplyDeleteसही जबाब दिया ड्राइवर ने|
ReplyDeleteलम्बे रूटों पर चलने वाली बसों के ड्राइवर तो बेचारे चौबीस घंटे सरकारी बस में ही रहते है,उन्हें तो सोना भी बस में ही पड़ता है| सराय काले खां बस अड्डे पर रात को बसों पर सोते कई ड्राइवर कंडक्टर नजर आ जायेंगे|
अपने भी सोलह घंटे तो बस में ही निकलते हैं।
ReplyDeleteबढ़िया पोस्ट ....
ReplyDeleteहाय हाय ! हम भी चौबीस घंटे वाली पालटी हैं जी घर से दफ़्तर तक हर जगह श्रीमती जी के बस में ही रहना होता है :)
ReplyDeleteये आपने शब्द पुष्टिकरण क्यों लगा रखा है जी
हा हा हा ! यानि पहले सरकार की नौकरी , फिर घर की सरकार की चाकरी ।
ReplyDeleteइस मिर्ची को हटाओ भाई ।
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
ReplyDeleteअधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
sahi jabab :)
ReplyDeleteसही जबाब|धन्यवाद|
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