विरोध का तरीका कैसा होना चाहिए?

विरोध करने के लिए विरोध करना भी आना चाहिए। अगर किसी को लगता है कि कोई बात गलत है, तो हो-हल्ला मचाने से पूर्व सबसे पहले उसके बारें में पूरी जानकारी हासिल करना चाहिए। इससे कई बातें सामने आ सकती हैं। जैसे कि:

1. हो सकता है कि जो हम सोच रहे हैं, वह बात बिलकुल वैसी ही निकले।

2. इस बात की भी पूरी संभावना है कि जो हम सोच रहे हैं, बात वैसी नहीं हो।

3. हर बात के अच्छे और बुरे पहलु हो सकते हैं, क्योंकि समय और समझ के हिसाब से हर बात का अलग महत्त्व होता है।

4. विरोधियों की और समर्थन करने वालो की बातों पर एकदम से पूरा विश्वास नहीं करना चाहिए. क्योंकि विरोधी अक्सर अच्छी बातों का भी विरोध करते हैं, वहीँ समर्थक बुरी बातों का भी समर्थन करते हैं।

5. बल्कि सही रास्ता तो यही है, कि विरोधियों और समर्थकों की बातों का तथा सम्बंधित विषय का पूरी तरह से अध्यन करके ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचना चाहिए।

6. सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है, कि सिक्के का एक ही पहलु देखने की जगह बात अगर किसी से सम्बंधित है तो उसके विचारों का भी अध्यन करना चाहिए।


- शाहनवाज़ सिद्दीकी

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कुछ खुशियाँ बेकरार सी हैं




मायूस शब
ढलने के बाद,
ढेरों आशाएं
समेटे हुए,
नई सहर
इंतज़ार में हैं।


अपने जोश को
समेट कर रखिए,
इस्तक़बाल के लिए
कुछ खुशियाँ
बेकरार सी हैं।

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