कोलकाता के हादसे ने कितने ही लोगो की जान ले ली, बल्कि हमारे देश में तो रोज ही हज़ारों लोग इस तरह की लापरवाही तथा भ्रष्ठ तंत्र के शिकार बनते हैं. 'मेरा काम आसानी से होना चाहिए', और 'यहाँ तो ऐसे ही चलता है' जैसी सोच ही इस लापरवाही और भ्रष्ठ तंत्र की ज़िम्मेदार है.
सरकार अथवा प्रबंधन को कोस कर, कुछ दिन के लिए लोग जागरूक बन जाएँगे. अपने आस-पास की कमियों पर नज़र जाएगी, तब्सरे होंगे, शिकायते होंगी... और उसके कुछ दिन बाद फिर से वही सब पुराने ढर्रे पर चलने लगेगा, अगले हादसे तक...
क्योंकि 'यहाँ तो ऐसे ही चलता है', दुनिया जाए भाड़ में 'मेरा काम आसानी से होना चाहिए'.
मेरे पड़ौस में एक अस्पताल बिलकुल गैरकानूनी तरीके से बना हुआ है। जिस के विरुद्ध
ReplyDeleteएक मुकदमा भी कई वर्षों से चल रहा है। लेकिन सुध तभी आएगी जब वहाँ ऐसा ही कोई हादसा हो लेगा।
प्रशासन और सरकार की भी कुछ जिम्मेदारी बनती है। हमारा काम होना चाहिए जैसी मानसिकता तो है ही लेकिन लापरवाही हमेशा इनलोगों की होती है जिसका खामियाजा निर्दोष लोगों को भुगतना पड़ता है।
ReplyDeleteJo bhee zimmedar ho,ant me khamiyaza nirdosh logon ko hee bhugatna padta hai!
ReplyDelete'यहाँ तो ऐसे ही चलता है', दुनिया जाए भाड़ में 'मेरा काम आसानी से होना चाहिए'.
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दुनिया की यही रीत है।
छोटी सी बात नहीं है ये ...
ReplyDeleteहृदयविदारक हैं घटनाएँ ..... न जाने कब तक ये सब होता रहेगा ...
ReplyDeleteIske baad sab hospitals ki inspection ho rahi hai .... Har building ki kyon nahi ...?
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