शुक्रगुज़ार बंदा क्यों ना बनूँ?

ऐ मेरे रब, उन ने'एमतों के लिए भी बहुत-बहुत शुकिया, जिनको हम कभी महसूस भी नहीं कर पाते! हमारा रब हमें रात-दिन अनेक खुशियाँ अता करता है, मगर उनसे खुश होना और शुक्रगुज़ार बनना तो दूर, अक्सर को तो हम खुशियों में शुमार भी नहीं करते हैं। बच्चों के घर वापिस आने के ख़ुशी की अहमियत उनसे मालूम करो जिनका बच्चा सही सलामत स्कूल गया था, मगर वापिस नहीं आया...  पेशाब आने की क़द्र उससे मालूम करिए जिसका...
Read More...

एक-दूसरे की भावनाओं का ख़याल रखना हमारा फ़र्ज़ है

हम इक ऐसे समाज में रहते हैं जहां विभिन्न सोच और आस्था को मानने वाले एक साथ रहते हैं और फिर यह इंसानियत का तकाज़ा भी है कि हम एक-दूसरे की भावनाओं का ख़याल रखें ! यह इसलिए भी ज़रूरी है कि अलग-अलग तरह के माहौल में पलने-बढ़ने के कारण हमें एक-दूसरे की मान्यताओं की समझ नहीं होती और इसी वजह से हम अक्सर...
Read More...
Copyright (c) 2010. Chhotibat All Rights Reserved.