राजनीति में भी चलती है बाबागिरी

देश के लोगों को वैसे भी हर फिल्ड में इन ढोंगी बाबाओ का तरीक़ा ही पसंद आता है। हम हमेशा शाही अंदाज़ में रहने और कभी ना पुरे होने वाले सपने दिखाने वाले नेताओं को ही पसंद करते आए हैं।  यह सारा खेल परसेप्शन्स का है, जिसके ज़रिये दिव्य अथवा मसीहा की छवि गढ़ी जाती है और अलौकिक सपने दिखाए जाते हैं। लोगों के मन में अगर एक बार किसी के लिए उद्धार करने वाले मसीहा की धारणा उत्पन्न हो गई तो...
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काश ऐसा हो!

जिस तरह ओखला की मस्जिद में सूअर का गोश्त मिलने पर मुसलमान नहीं भड़के और फ़ौरन पुलिस को फोन किया, क्या मैं यह उम्मीद कर सकता हूँ कि बाकी जगह के मुसलमान भी ऐसा ही करेंगे? और ठीक इसी तरह मंदिर में मांस मिलने जैसी घिनौनी हरकत पर हिन्दू भी ऐसा ही करेंगे? अगर जवाब 'हाँ' है तो समझ लीजिये कि नफ़रत...
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साम्प्रदायिकता से निपटने में ओखला के लोगो ने मिसाल कायम की

ओखला के लोगो को सलाम करना चाहूंगा कि जिस तरह मदनपुर खादर स्थित मस्जिद में  मरा हुआ सूअर पाए जाने के बाद उन लोगो ने नफरत की राजनीति के मक़सद को समझकर, तनाव फैलाने की जगह पुलिस को इन्फॉर्म किया, वह काबिले तारीफ है।  (Image Source: Indian Express) मौके पर पहुंचे 'आम आदमी...
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रब की ताकत और उसका निज़ाम

एक रब की ताकत है और एक उसका निज़ाम है, ताकत यह यह है कि वह जो चाहता है वो हो जाता है (कुन-फया कुन)। और निज़ाम यह है कि बच्चा पैदा होने के लिए महिला-पुरुष का सम्बन्ध और तक़रीबन 9 महीने का वक़्त ज़रूरी है। हालाँकि वह खुद उस निज़ाम पर पाबन्द नहीं है और इंसानो को यह दर्शाने के लिए अक्सर वह निज़ाम से इतर चीज़ें दुनिया में दिखाता रहता है, जैसे कि उसने आदम (अ.) को बिना माँ-बाप और ईसा मसीह (अ.) को बिना बाप के...
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