मीडिया का फंडा 'एक और एक ग्यारह'

जबसे इलेक्ट्रोनिक्स मीडिया ने देश में पैर पसारे हैं, तब से खबर को सनसनी बनाने और केवल सनसनी को ही खबर के रूप में दिखाने का कल्चर भी पैर पसार गया है. किसी भी खबर को सनसनी बनाने के चक्कर में मीडिया 'एक और एक दो' को 'एक और एक ग्यारह' और कई बार 'एक सौ ग्यारह' बनाने में तुला रहता है, जिसके कारण बात...
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आप कैसे नेता हैं?

एक नेता के बेटे ने नेता जी से मालूम किया - "पिता जी आप तो कहते थे कि आप भी राजनीति में हैं" नेता जी ने कहा  -  "वो तो मैं हूँ" बेटा तपाक से बोला -  ------- ------- ------- ------- ------- ------- ------- ------- ------- ------- ------- ------- ------- -------...
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मलाला युसूफजई प्रकरण - क्या बदल पाएगी लोगो की सोच?

मलाला युसूफजई के जज्बे और कोशिशों को सलाम और साथ ही उसका समर्थन करने वाली पाकिस्तानी अवाम पाईन्दाबाद। बस मलाला जैसी कोशिशें करने वालों की तादाद कम ना होने पाए और इसका समर्थन करने वाले दुनिया भर के लोग बस 'समर्थन भर' करने की जगह उसकी सोच को अपनी सोच बना लें, सही और गलत का फर्क करना सीख जाएं,...
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बिना तथ्य के आरोप लगाने से किसको फायदा?

कानून मंत्री  की प्रेस कांफ्रेंस के बाद मुझे इस बात में कोई संदेह नज़र नहीं आता है कि उनके ट्रस्ट ने विकलांगों को सामान बांटने के लिए कैम्प लगाए. हालाँकि हस्ताक्षर असली हैं या नकली यह साबित होना बाकी है. इसलिए मैं अपने फेसबुक स्टेटस को वापिस लेता हूँ जिसमें मैंने कहा था कि -  Shah Nawaz Yesterday PublicFriendsFriends...
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पुरुषों में 'विशेष' होने का अहम्

अगर हम बचपन से बेटों को विशेष होने और लड़कियों को कमतर होने का अहसास कराना बंद कर दें तो स्थिति काफी हद तक सुधर सकती है... क्योंकि इसी अहसास के साथ जब वह बाहर निकलते हैं तो लड़कियों को मसल देने में मर्दानगी समझते हैं... उनकी नज़रों में लड़कियां 'वस्तु' भर होती हैं।यह सब इसलिए होता है कि हम...
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चंद्रमौलेश्वर जी - उनका संदेसा उनके जाने के बाद आया!

ख़ुशी का झोंका आंसुओं को साथ लाया। उनका संदेसा उनके जाने के बाद आया। आज अचानक अपने इस ब्लॉग का कमेन्ट 'स्पैम फोल्डर' चेक कर रहा था दो देखा हैदराबाद के प्रमुख ब्लॉगर चंद्रमौलेश्वर जी, जिनका देहांत पिछले महीने की 9 तारिख को हुआ है, की नए साल की मुबारकबाद वाली टिप्पणी वहां...
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धार्मिक वैमनस्य और परेशानी का सबब

परेशानी का सबब यह है कि हमेशा दूसरों के धर्म को अपनी मान्यताओं के चश्मे से देखा जाता है. दूर की निगाह के चश्में से पास का या पास की निगाह के चश्में से दूर का नज़ारा साफ़ दिखाई दे सकता है क्या? यह झगड़ों की एक बड़ी वजह है!...
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