मलाला युसूफजई प्रकरण - क्या बदल पाएगी लोगो की सोच?

Posted on
  • by
  • Shah Nawaz
  • in
  • मलाला युसूफजई के जज्बे और कोशिशों को सलाम और साथ ही उसका समर्थन करने वाली पाकिस्तानी अवाम पाईन्दाबाद। बस मलाला जैसी कोशिशें करने वालों की तादाद कम ना होने पाए और इसका समर्थन करने वाले दुनिया भर के लोग बस 'समर्थन भर' करने की जगह उसकी सोच को अपनी सोच बना लें, सही और गलत का फर्क करना सीख जाएं, यही रब से दुआ है।

    लेकिन इसके साथ-साथ इसकी उड़ान को रोकने की कोशिश करने वालों के खिलाफ भी तो सख्त से सख्त कार्यवाही होनी चाहिए। इस बच्ची के समर्थन में तो वहां की सरकार नज़र आ रही है, लेकिन उन लोगो के खिलाफ क्या कार्यवाही हुई? और उन जैसी सोच रखने वाले लोगो का क्या? उनकी सोच को कैसे दुरुस्त किया जा सकता है? इस तरफ भी तो कदम बढाने की आवश्यकता है।

    8 comments:

    1. पाकिस्तान की सरकार और पार्टियाँ आतंकवादियों से भयभीत हैं। मलाला ने जिस तरह तालिबान का प्रतिरोध कर के मिसाल कायम की और बच्चों की शिक्षा के अधिकार के लिए अभियान जारी रखा। उसी ने उसे मजबूत बनाया। इस हमले के खिलाफ जिस तरह का वातावरण पाकिस्तान में बना है वह अभूतपूर्व है। यदि यह दिशा जारी रही तो पाकिस्तान की राजनीति में जल्दी बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे।

      ReplyDelete
      Replies
      1. सही विश्लेषण किया है आपने...

        Delete

    2. मलाला के जज्बे को सलाम!

      उगती जब नागफनी दिल में, मरुभूमि बबूल समूल सँभाला ।
      बरसों बरसात नहीं पहुँची, धरती जलती अति दाहक ज्वाला ।
      उठती जब गर्म हवा तल से, दस मंजिल हो भरमात कराला ।
      पढ़ती तलिबान प्रशासन में, डरती लड़की नहिं वीर मलाला ।।

      ReplyDelete
      Replies
      1. धन्यवाद रविकर जी...

        Delete
    3. शुरुआत हो गई, अब यह चिंगारी आग भड़का कर ही रहेगी !

      ReplyDelete
      Replies
      1. खुदा करे ऐसा ही हो!

        Delete
    4. वहां का हाल भी हमारे यहाँ से अलग नहीं है लोगो में भावनाओ का उबाल तो आता है किन्तु उनकी निजी सोच में जरा भी बदलाव नहीं आता है , एक तरफ सरकार उसका साथ तो दे रहीहै किन्तु तालिबान के खिलाफ कुछ नहीं कह रही है जिसने और जिसकी सोच ने ये किया है बिलकुल वैसे ही जैसे खापो के खिलाफ कुछ नहीं कहा जाता जिनकी महिअलो के लिए गिरी हुई सोच के करना ही बालात्कारियो की हिम्मत बढती है ।

      ReplyDelete
      Replies
      1. आपकी बात काफी हद तक सही लग रही है... लगता है सोच को बदलने के लिए लोगो को ही कदम उठाने पड़ेंगे...

        Delete