पत्रकारिता और उसका विरोध

पत्रकार कोई क्रन्तिकारी नहीं होता और ना ही उनका काम जनता की राय बनाना होता है बल्कि पत्रकारिता का मक़सद केवल जनता की राय को सामने लाना और इसी तरह किसी घटना के पीछे छुपे सच को बाहर लाना होना चाहिए। हालाँकि इस कवायद में अक्सर तीखे सवाल किये जाते हैं, जिसमें से  बहुत सी बातें हमें पसंद आ सकती हैं और बहुत सी नापसंद। ऐसे में एक अच्छे लीडर का काम है विचलित हुए बिना धैर्य और चतुराई से जवाब देना।  जहाँ...
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जयललिता पर कोर्ट का फैसला गुनाहगार नेताओं के खिलाफ फिर से उम्मीद जगा रहा है

कुछ नेता गुनाहगार होने के बावजूद जनता को मानसिक गुलाम बनाकर चुनाव जीत जाते हैं और देश के सर्वोच्य पदों तक पहुँच जाते हैं... फिर उसपर सोचते हैं कि उनका बाल भी बांका नहीं होगा, हालाँकि हमारे देश में इनका अबतक कुछ बिगड़ता भी नहीं था। मगर कुछ दिनों से नेताओं पर आए कोर्ट के फैसले इंसाफ की उम्मीद जगा रहे हैं, जयललिता पर आया फैसला भी इसी की एक कड़ी है! अगर देश के लोग जागरूक हो जाएं तो बाकी बचे अपराधी...
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क्या पीएम की आगवानी के लिए एक भी अमेरिकी प्रतिनिधि का ना होना देश का अपमान नहीं है?

क्या यह देश का अपमान नहीं कि हमारे देश का प्रधानमंत्री अमेरिकी यात्रा पर पहुंचे तो आगवानी के लिए वहां का कोई छोटे से छोटा मंत्री भी नहीं पहुंचे, यहाँ तक कि किसी को आगवानी के लिए ऑफिशियली अपोइंट भी ना किया जाए? हमारी एम्बेसी को उन्हें रिसीव करना पड़े! यह हाल तब है जबकि उनका वर्तमान तो क्या...
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चिड़ियाघर जैसे हादसे और जवाबदेही

एक नौजवान, शेर से अपनी जान की भीख मांगता रहा, बेहिस लोग वीडियो बनाने में मशगूल थे और सिक्योरिटी सोती रही... 15 मिनट बाद सुरक्षा कर्मियों की नींद खुली, पर अफ़सोस कि तब तक उस बेचारे के प्राण पखेरू उड़ चुके थे  परेशानी का सबब यह एक हादसा भर नहीं है बल्कि यह भी है कि कहीं भी, किसी की भी कोई जवाबदेही...
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