उफ्फ्फ्फ़ कैसे हैवान हैं यह, जो बच्चों तक पर तरस नहीं खाते... यह लोग इंसानियत पर धब्बा हैं, आज दुनिया के सभी मुसलमानो को एक होकर इन हैवानों के खिलाफ उठ खड़े होने की ज़रूरत हैं! मुसलमानों पर ज़्यादा बड़ी ज़िम्मेदारी इसलिए भी है क्योकि यह लोग इस्लाम का नाम लेकर ऐसी हैवानियत फैलाते हैं... बेशक यह दुनिया के हर अमन पसंद का काम है कि दुनिया से हर मासूम पर ज़ुल्म करने वाले आतंकी का सफ़ाया हो!
हालाँकि दुनिया में अनेकों तरह की आतंकवादी हरकतें चल रही हैं, पर अगर बात इस्लाम के नाम पर फैलाए जा रहे आतंक की करूँ तो इसे समाप्त करने के लिए पहल ख़ुद मुसलमानों को ही करनी पड़ेगी...
मैं यह हरगिज़ नहीं मानता कि ऐसी कोई भी हरक़त कोई मुसलमान कर सकता है, और असल बात यह है कि ऐसी हरकतें तो कोई इंसान कर ही नहीं सकता है! इंसानियत मर गई है इन लोगों के अंदर से, आज इस्लाम को इन लोगों की हैवानियत से महफूज़ करने की ईमानदार मेहनत की ज़रूरत है...
अल्लाह हम सब की हिफाज़त फरमाए, पूरी दुनिया के इंसानो की!
हालाँकि दुनिया में अनेकों तरह की आतंकवादी हरकतें चल रही हैं, पर अगर बात इस्लाम के नाम पर फैलाए जा रहे आतंक की करूँ तो इसे समाप्त करने के लिए पहल ख़ुद मुसलमानों को ही करनी पड़ेगी...
ReplyDelete..बिलकुल सही कहा आपने ....
सटीक सामयिक चिंतन प्रस्तुति
excellent post,Thanks for sharing
ReplyDeleteebook publisher india