कोई भी सरकार इतनी भारी भीड़ होने के बावजूद इस तरह लोगों को भड़काने की कोशिश नहीं करती है, कहीं यह सब जानबूझ कर तो नहीं हो रहा है? सवाल यह भी है कि कम से कम गुजरात में तो संघ की मर्ज़ी के बिना पत्ता भी नहीं हिलता फिर यह तो तूफ़ान सरीखा है, आख़िर यह अंजाम तक कैसे पहुंचा कि ना तो संघ को इसकी भनक लग पाई और ना ही सरकार को।
हैरत करने वाली बात यह भी है कि आज के ज़माने में 'ना' के बराबर सरकारी नौकरी वाले 'आरक्षण' के लिए एक अमीर क़ौम (पटेल) की इतनी मारा-मारी, इतना बड़ा आंदोलन? कहीं यह सब समस्याओं से ध्यान हटाने या फिर 'आरक्षण' जैसे प्रावधान के प्रति लोगों में नफरत बढ़ाने जैसा कोई बड़ा और पूर्वनियोजित षड्यंत्र तो नहीं है?
और इस हैरानगी के पीछे की सोच यह है कि बिना आरक्षण के ही गुजरात में केवल 20 फीसदी आबादी वाले 'पटेल समुदाय' के वर्तमान में 41 विधायक, 8 मंत्री, मुख्यमंत्री, 16 IAS, 10 IPS, 34 SP, राज्य सचिवालय में 100 ऑफिसर हैं... तथा यह प्रदेश में सबसे ज्यादा धनवान कम्युनिटी है, विदेशो में सबसे ज्यादा व्यापर पर काबिज है, हीरा व्यापार पर ज्यादातर इन्ही का कब्ज़ा है, इसके अलावा गुजरात का सबसे ज्यादा दबंग समुह होने के बावजूद इतना बड़ा हंगामा?
शुक्रिया भाई!
ReplyDeleteशुक्रिया भाई!
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