पत्नी ने कहा - "मैं अपना सारा जीवन अपनी बहन के साथ गुजार दूँगी, लेकिन दूसरी शादी कभी नहीं करूँगी।"
उसने पति से मालूम किया - "अगर मुझे कुछ हो गया तो क्या तुम दूसरी शादी करोगे?"
पति भी हाज़िर जवाबी से बोला - "ऐसा कभी नहीं होगा! तुम फ़िक्र क्यों करती हो? मैं भी तुम्हारी बहन के साथ ही रह लूँगा।"
खूब!
ReplyDelete:))))))
ReplyDeleteअरे वाह बहुत ही जोरदार जैसे को तैसा ....
ReplyDeleteहा हा हा हा इसके बाद फ़िर दोनों बहनें ही साथ रह रही होंगी ....पार्थ तो निकल लिए होंगे दुन्नो के हाथ से पिटा के ..डायरेक्ट ..।
ReplyDeleteनीयत ख़राब दिख रही है ....
ReplyDeleteबहुत ही जोरदार
ReplyDeleteमजेदार...
ReplyDeleteबहन की खामख्वाह डिमांड बढ़ गई ।
ReplyDelete@ डॉ टी एस दराल said...
ReplyDeleteबहन की खामख्वाह डिमांड बढ़ गई ।
हा हा हा... ज़बरदस्त जवाब लगा आपका...
@ Sunil Kumar said...
नीयत ख़राब दिख रही है ....
नीयत तो वाकई ख़राब दिख रही है .... लेकिन पतिदेव के इस जवाब के बाद लगता है 'तबियत' भी खराब हो जाएगी... :-)
@ अजय कुमार झा said...
हा हा हा हा इसके बाद फ़िर दोनों बहनें ही साथ रह रही होंगी ....पार्थ तो निकल लिए होंगे दुन्नो के हाथ से पिटा के ..डायरेक्ट ..।
सही कह रहे हो भय्या, अगर कोई ब्लोगर होगा तो पक्का निकल लिया होगा... क्योंकि बेचारे ब्लोगर की पत्नी को तो पहले ही सौतन के रूप में ब्लोगिंग मिली होती है... इसके बाद यह वाली बात वोह कैसे बर्दाश्त कर सकती है???
Bahut khoob ...
ReplyDeleteलीगल सैल से मिले वकील की मैंने अपनी शिकायत उच्चस्तर के अधिकारीयों के पास भेज तो दी हैं. अब बस देखना हैं कि-वो खुद कितने बड़े ईमानदार है और अब मेरी शिकायत उनकी ईमानदारी पर ही एक प्रश्नचिन्ह है
ReplyDeleteमैंने दिल्ली पुलिस के कमिश्नर श्री बी.के. गुप्ता जी को एक पत्र कल ही लिखकर भेजा है कि-दोषी को सजा हो और निर्दोष शोषित न हो. दिल्ली पुलिस विभाग में फैली अव्यवस्था मैं सुधार करें
कदम-कदम पर भ्रष्टाचार ने अब मेरी जीने की इच्छा खत्म कर दी है.. माननीय राष्ट्रपति जी मुझे इच्छा मृत्यु प्रदान करके कृतार्थ करें मैंने जो भी कदम उठाया है. वो सब मज़बूरी मैं लिया गया निर्णय है. हो सकता कुछ लोगों को यह पसंद न आये लेकिन जिस पर बीत रही होती हैं उसको ही पता होता है कि किस पीड़ा से गुजर रहा है.
मेरी पत्नी और सुसराल वालों ने महिलाओं के हितों के लिए बनाये कानूनों का दुरपयोग करते हुए मेरे ऊपर फर्जी केस दर्ज करवा दिए..मैंने पत्नी की जो मानसिक यातनाएं भुगती हैं थोड़ी बहुत पूंजी अपने कार्यों के माध्यम जमा की थी.सभी कार्य बंद होने के, बिमारियों की दवाइयों में और केसों की भागदौड़ में खर्च होने के कारण आज स्थिति यह है कि-पत्रकार हूँ इसलिए भीख भी नहीं मांग सकता हूँ और अपना ज़मीर व ईमान बेच नहीं सकता हूँ.