ला इलाहा और इल्लल्लाह का तात्पर्य
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कलमा की शुरुआत 'ला इलाहा' से होती है, मतलब कि नहीं है कोई उपास्य (जिसकी
उपासना की जा सकती हो), जो कि किसी नास्तिक का भी कलमा होता है। फिर दूसरा
पार्ट है ...
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विचारणीय बात कही
ReplyDeleteकल 05/10/2012 को आपकी यह खूबसूरत पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
बात तो सही है....
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