शे`र: रूठते हैं कभी मान जाते हैं....

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  • Shah Nawaz
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  • रूठते हैं कभी मान जाते हैं
    कुछ ऐसे बेक़रार करते हैं

    जो बोलना है, बोलते ही नहीं
    वैसे बाते हज़ार करते है

    - शाहनवाज़ 'साहिल'




    फ़िलबदीह मुशायरा - 022 में आदित्य आर्य जी के मिसरे 'प्यार जो बेशुमार करते है' पर मेरे दो शे`र

    1 comment:

    1. बहुत खूब !! शानदार अलफ़ाज़

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