दिल्ली सरकार ने गाड़ियों को चलाने का सम-विषम फार्मूला सामने रखा, हो सकता है नाकामयाब रहे और यह भी हो सकता है कि कामयाब हो जाए... मगर हम लोग विषय की गंभीरता को समझने और कार पूल, सार्वजानिक परिवहन या इलेक्ट्रिक इस्तेमाल करने की बात करने की जगह चुटकुले बना रहे हैं, कानून का तोड़ बताते फिर रहे हैं... जैसे कि प्रदूषण का नुकसान केवल केजरीवाल के बच्चों को ही होने वाला हो तथा हम और हमारे बच्चे सुरक्षित हों!
अगर वाकई ऐसा है तो फिर करते रहिये जो 'जी' चाहे, नहीं तो फिर प्रदुषण को रोकने की अपनी तरफ से भी पूरी कोशिश करिये, वर्ना आने वाली पीढ़ी हमें माफ़ नहीं करेगी!
अगर वाकई ऐसा है तो फिर करते रहिये जो 'जी' चाहे, नहीं तो फिर प्रदुषण को रोकने की अपनी तरफ से भी पूरी कोशिश करिये, वर्ना आने वाली पीढ़ी हमें माफ़ नहीं करेगी!
हालाँकि यह भी सत्य है कि केवल इसी फॉर्मूले से हल नहीं निकलेगा, कुछ और फैसले भी लेने पड़ेंगे। जैसा कि दिल्ली सरकार ने 4-5 महीने पहले अनाउंस किया था कि दिल्ली में एक परिवार को एक ही गाडी की इजाज़त मिलेगी और पहले ही गाडी की पार्किंग की जगह भी बतानी पड़ेगी, वर्ना गाडी नहीं खरीद पाएंगे।
कुछ लोग कह रहे हैं कि कहना आसान है, हालाँकि यह बात सही भी है कि कहना आसान है, कहना वाकई आसान होता है और करना मुश्किल! मगर अब पानी सर से ऊपर गुज़र चुका है बल्कि काफी पहले ही गुज़र चूका है, पर कम से कम आज तो ज़रूरत हर मुश्किल काम को अमल में लाने की है.... अगर खुदा ना खास्ता कोई एक प्रयोग फेल होता है तो कई और करने पड़ेंगे, लेकिन अगर आने वाली जेनरेशन को बचाना है तो मुश्किल फैसले करने ही पड़ेंगे, केवल सरकार को ही नहीं बल्कि हमें भी... हमारे भी फ्यूचर का उतना ही सवाल है।
कई लोगों को इस फॉर्मूले के नाकामयाब रहने का भी डर सता रहा है, क्योंकि उन्हें लगता है कि देश की जनता को कानून का डर नहीं होता, प्रदुषण से होने वाले नुकसान की चिंता नहीं है और यह भी कि हम लोग अपना आराम नहीं छोड़ना चाहते हैं... और समाज को देखकर काफी हद तक उनका तर्क भी सही लगता है, मगर यह सोचकर हाथ पर हाथ धार कर नहीं बैठा जा सकता है!
दिल्ली सरकार ने #EvenOddFormula के साथ-साथ कुछ और भी कदम उठाएं हैं जैसा कि सड़कों पर धूल को साफ़ करके साइड करने की जगह वेक्यूम क्लीनिंग की योजना है। कमर्शियल गाडियो का एंट्री टाइम 9 बजे की जगह को रात 11 बजे किया गया है, क्योंकि उस समय तक दिल्ली में पहले ही काफी ट्रैफिक रहता है, साथ में कमर्शियल व्हीकल्स के आ जाने से स्थिति और भी खराब हो जाती है।ज्ञात रहे कि ट्रेफिक जाम भी प्रदुषण का बड़ा कारण होता है।
दिल्ली के दो पॉवर प्लांट्स बंद किये जा रहे हैं, जिनका उत्पाद कम हैं और उनपर निर्भरता भी कम हैं। प्रदुषण सर्टिफिकेट सेंट्रलाइज किये गए हैं, अर्थात अब प्रदुषण सर्टिफिकेट तब ही मिलेगा जबकि गाडी का प्रदूषण निर्धारित मानको से कम होगा, क्योंकि वाहन की जानकारी केवल जाँच पॉइंट पर ही नहीं बल्कि सेन्ट्रल पॉइंट तक भी आटोमेटिक पहुँच जाएगी। 10 साल से पुरानी डीज़ल गाडियो को बंद किया जा रहा है, क्योंकि प्रदूषण में इनका भी योगदान काफी हैं। साथ ही खुले में कूड़ा जलाने पर लगे प्रतिबंध को और सख्त बनाया जा रहा हैं।
हालाँकि डीज़ल गाड़ियों के नए रजिस्ट्रेशन पर बैन जैसे कदम भी उठाए जा रहे हैं पर इसके साथ-साथ डीज़ल से चलने वाले कमर्शियल व्हीकल्स पर लगाम लगनी चाहिए और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को और ज़्यादा प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।
कुछ लोग कह रहे हैं कि कहना आसान है, हालाँकि यह बात सही भी है कि कहना आसान है, कहना वाकई आसान होता है और करना मुश्किल! मगर अब पानी सर से ऊपर गुज़र चुका है बल्कि काफी पहले ही गुज़र चूका है, पर कम से कम आज तो ज़रूरत हर मुश्किल काम को अमल में लाने की है.... अगर खुदा ना खास्ता कोई एक प्रयोग फेल होता है तो कई और करने पड़ेंगे, लेकिन अगर आने वाली जेनरेशन को बचाना है तो मुश्किल फैसले करने ही पड़ेंगे, केवल सरकार को ही नहीं बल्कि हमें भी... हमारे भी फ्यूचर का उतना ही सवाल है।
कई लोगों को इस फॉर्मूले के नाकामयाब रहने का भी डर सता रहा है, क्योंकि उन्हें लगता है कि देश की जनता को कानून का डर नहीं होता, प्रदुषण से होने वाले नुकसान की चिंता नहीं है और यह भी कि हम लोग अपना आराम नहीं छोड़ना चाहते हैं... और समाज को देखकर काफी हद तक उनका तर्क भी सही लगता है, मगर यह सोचकर हाथ पर हाथ धार कर नहीं बैठा जा सकता है!
दिल्ली सरकार ने #EvenOddFormula के साथ-साथ कुछ और भी कदम उठाएं हैं जैसा कि सड़कों पर धूल को साफ़ करके साइड करने की जगह वेक्यूम क्लीनिंग की योजना है। कमर्शियल गाडियो का एंट्री टाइम 9 बजे की जगह को रात 11 बजे किया गया है, क्योंकि उस समय तक दिल्ली में पहले ही काफी ट्रैफिक रहता है, साथ में कमर्शियल व्हीकल्स के आ जाने से स्थिति और भी खराब हो जाती है।ज्ञात रहे कि ट्रेफिक जाम भी प्रदुषण का बड़ा कारण होता है।
दिल्ली के दो पॉवर प्लांट्स बंद किये जा रहे हैं, जिनका उत्पाद कम हैं और उनपर निर्भरता भी कम हैं। प्रदुषण सर्टिफिकेट सेंट्रलाइज किये गए हैं, अर्थात अब प्रदुषण सर्टिफिकेट तब ही मिलेगा जबकि गाडी का प्रदूषण निर्धारित मानको से कम होगा, क्योंकि वाहन की जानकारी केवल जाँच पॉइंट पर ही नहीं बल्कि सेन्ट्रल पॉइंट तक भी आटोमेटिक पहुँच जाएगी। 10 साल से पुरानी डीज़ल गाडियो को बंद किया जा रहा है, क्योंकि प्रदूषण में इनका भी योगदान काफी हैं। साथ ही खुले में कूड़ा जलाने पर लगे प्रतिबंध को और सख्त बनाया जा रहा हैं।
हालाँकि डीज़ल गाड़ियों के नए रजिस्ट्रेशन पर बैन जैसे कदम भी उठाए जा रहे हैं पर इसके साथ-साथ डीज़ल से चलने वाले कमर्शियल व्हीकल्स पर लगाम लगनी चाहिए और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को और ज़्यादा प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।
बहुत खूब पर लोगों को समझाना बहुत मुश्किल क्योंकि हमारे यहाँ लोग जागरूक नहीं
ReplyDeleteकोशिश तो करनी ही पड़ेगी गुरप्रीत भाई!
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