इस्लाम के नाम पर फैलाए जा रहे आतंक के खात्मे की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी मुसलामानों की ही है

उफ्फ्फ्फ़ कैसे हैवान हैं यह, जो बच्चों तक पर तरस नहीं खाते... यह लोग इंसानियत पर धब्बा हैं, आज दुनिया के सभी मुसलमानो को एक होकर इन हैवानों के खिलाफ उठ खड़े होने की ज़रूरत हैं! मुसलमानों पर ज़्यादा बड़ी ज़िम्मेदारी इसलिए भी है क्योकि यह लोग इस्लाम का नाम लेकर ऐसी हैवानियत फैलाते हैं... बेशक यह दुनिया...
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इबादत का मतलब है 'हक़ अदा करना'

इबादत या पूजा का असल मतलब है 'हक़ अदा करना' और हमारे रब ने हम पर दो तरह के हक़ रखें हैं, एक खुद उसके जैसे कि नमाज़, रोज़ा, हज, ज़कात इत्यादि और दूसरे बाकियों के हम पर हक़ हैं जैसे माँ-बाप, भाई-बहन, पत्नी-बच्चों के हक़, उसके बाद रिश्तेदारों, पडौसियों, यतीमों, गरीबों, मजबूरों, भूखे-प्यासों...
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गलती किसी की, सजा किसी को...

उबेर कैब पर बैन को लोग हास्यपद ठहरा रहे हैं, तर्क है कि किसी एक ड्राइवर की गलती का खामियाज़ा पूरी कंपनी क्यों भुगते... कभी सोचा है कि आप ही लोग किसी एक मुस्लिम के किसी गुनाह में नाम आने भर से पूरी क़ौम को ज़िम्मेदार ठहराते हैं? इस पोस्ट पर कुछ अच्छा विचार-विमर्श यहाँ पढ़ा जा सकता है: Facebook...
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ब्रेनवॉश्ड होने का मुख्य कारण है अंधविश्वास

हमारी अंधविश्वासी प्रवृति और धर्म विरुद्ध बात सुनने पर आग बबूला हो जाने वाले जूनून का फायदा शातिर लोग हमेशा से ही उठाते आए हैं, कभी दंगे करवाकर और कभी आतंक फैला कर। हालाँकि ऐसा नहीं है कि आम लोगो का ब्रेनवॉश केवल आतंक की फैक्ट्रियां चलाने या दंगों की इबारतें लिखने के लिए ही किया जाता हो, बल्कि...
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राजनीति में भी चलती है बाबागिरी

देश के लोगों को वैसे भी हर फिल्ड में इन ढोंगी बाबाओ का तरीक़ा ही पसंद आता है। हम हमेशा शाही अंदाज़ में रहने और कभी ना पुरे होने वाले सपने दिखाने वाले नेताओं को ही पसंद करते आए हैं।  यह सारा खेल परसेप्शन्स का है, जिसके ज़रिये दिव्य अथवा मसीहा की छवि गढ़ी जाती है और अलौकिक सपने दिखाए जाते हैं। लोगों के मन में अगर एक बार किसी के लिए उद्धार करने वाले मसीहा की धारणा उत्पन्न हो गई तो...
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काश ऐसा हो!

जिस तरह ओखला की मस्जिद में सूअर का गोश्त मिलने पर मुसलमान नहीं भड़के और फ़ौरन पुलिस को फोन किया, क्या मैं यह उम्मीद कर सकता हूँ कि बाकी जगह के मुसलमान भी ऐसा ही करेंगे? और ठीक इसी तरह मंदिर में मांस मिलने जैसी घिनौनी हरकत पर हिन्दू भी ऐसा ही करेंगे? अगर जवाब 'हाँ' है तो समझ लीजिये कि नफ़रत...
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साम्प्रदायिकता से निपटने में ओखला के लोगो ने मिसाल कायम की

ओखला के लोगो को सलाम करना चाहूंगा कि जिस तरह मदनपुर खादर स्थित मस्जिद में  मरा हुआ सूअर पाए जाने के बाद उन लोगो ने नफरत की राजनीति के मक़सद को समझकर, तनाव फैलाने की जगह पुलिस को इन्फॉर्म किया, वह काबिले तारीफ है।  (Image Source: Indian Express) मौके पर पहुंचे 'आम आदमी...
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रब की ताकत और उसका निज़ाम

एक रब की ताकत है और एक उसका निज़ाम है, ताकत यह यह है कि वह जो चाहता है वो हो जाता है (कुन-फया कुन)। और निज़ाम यह है कि बच्चा पैदा होने के लिए महिला-पुरुष का सम्बन्ध और तक़रीबन 9 महीने का वक़्त ज़रूरी है। हालाँकि वह खुद उस निज़ाम पर पाबन्द नहीं है और इंसानो को यह दर्शाने के लिए अक्सर वह निज़ाम से इतर चीज़ें दुनिया में दिखाता रहता है, जैसे कि उसने आदम (अ.) को बिना माँ-बाप और ईसा मसीह (अ.) को बिना बाप के...
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शुक्रगुज़ार बंदा क्यों ना बनूँ?

ऐ मेरे रब, उन ने'एमतों के लिए भी बहुत-बहुत शुकिया, जिनको हम कभी महसूस भी नहीं कर पाते! हमारा रब हमें रात-दिन अनेक खुशियाँ अता करता है, मगर उनसे खुश होना और शुक्रगुज़ार बनना तो दूर, अक्सर को तो हम खुशियों में शुमार भी नहीं करते हैं। बच्चों के घर वापिस आने के ख़ुशी की अहमियत उनसे मालूम करो जिनका बच्चा सही सलामत स्कूल गया था, मगर वापिस नहीं आया...  पेशाब आने की क़द्र उससे मालूम करिए जिसका...
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एक-दूसरे की भावनाओं का ख़याल रखना हमारा फ़र्ज़ है

हम इक ऐसे समाज में रहते हैं जहां विभिन्न सोच और आस्था को मानने वाले एक साथ रहते हैं और फिर यह इंसानियत का तकाज़ा भी है कि हम एक-दूसरे की भावनाओं का ख़याल रखें ! यह इसलिए भी ज़रूरी है कि अलग-अलग तरह के माहौल में पलने-बढ़ने के कारण हमें एक-दूसरे की मान्यताओं की समझ नहीं होती और इसी वजह से हम अक्सर...
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पत्रकारिता और उसका विरोध

पत्रकार कोई क्रन्तिकारी नहीं होता और ना ही उनका काम जनता की राय बनाना होता है बल्कि पत्रकारिता का मक़सद केवल जनता की राय को सामने लाना और इसी तरह किसी घटना के पीछे छुपे सच को बाहर लाना होना चाहिए। हालाँकि इस कवायद में अक्सर तीखे सवाल किये जाते हैं, जिसमें से  बहुत सी बातें हमें पसंद आ सकती हैं और बहुत सी नापसंद। ऐसे में एक अच्छे लीडर का काम है विचलित हुए बिना धैर्य और चतुराई से जवाब देना।  जहाँ...
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जयललिता पर कोर्ट का फैसला गुनाहगार नेताओं के खिलाफ फिर से उम्मीद जगा रहा है

कुछ नेता गुनाहगार होने के बावजूद जनता को मानसिक गुलाम बनाकर चुनाव जीत जाते हैं और देश के सर्वोच्य पदों तक पहुँच जाते हैं... फिर उसपर सोचते हैं कि उनका बाल भी बांका नहीं होगा, हालाँकि हमारे देश में इनका अबतक कुछ बिगड़ता भी नहीं था। मगर कुछ दिनों से नेताओं पर आए कोर्ट के फैसले इंसाफ की उम्मीद जगा रहे हैं, जयललिता पर आया फैसला भी इसी की एक कड़ी है! अगर देश के लोग जागरूक हो जाएं तो बाकी बचे अपराधी...
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क्या पीएम की आगवानी के लिए एक भी अमेरिकी प्रतिनिधि का ना होना देश का अपमान नहीं है?

क्या यह देश का अपमान नहीं कि हमारे देश का प्रधानमंत्री अमेरिकी यात्रा पर पहुंचे तो आगवानी के लिए वहां का कोई छोटे से छोटा मंत्री भी नहीं पहुंचे, यहाँ तक कि किसी को आगवानी के लिए ऑफिशियली अपोइंट भी ना किया जाए? हमारी एम्बेसी को उन्हें रिसीव करना पड़े! यह हाल तब है जबकि उनका वर्तमान तो क्या...
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चिड़ियाघर जैसे हादसे और जवाबदेही

एक नौजवान, शेर से अपनी जान की भीख मांगता रहा, बेहिस लोग वीडियो बनाने में मशगूल थे और सिक्योरिटी सोती रही... 15 मिनट बाद सुरक्षा कर्मियों की नींद खुली, पर अफ़सोस कि तब तक उस बेचारे के प्राण पखेरू उड़ चुके थे  परेशानी का सबब यह एक हादसा भर नहीं है बल्कि यह भी है कि कहीं भी, किसी की भी कोई जवाबदेही...
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पुरानी स्ट्रेटिजी है भीतरघात

'आप' को इससे भी ज़्यादा भीतरघात के लिए तैयार रहना चाहिए, यह तो किसी को बदनाम करने और उसकी मुहीम को नुक्सान पहुंचाने की सदियों पुरानी स्ट्रेटिजी है।  मुहम्मद (स.अ.व.) के समय जब कबीले के कबीले उनके साथ आने लगे तो दुश्मनों ने स्ट्रेटिजी बनाई, वह अपने लोगो को भी उनके साथ कर देते और कुछ समय बाद वह लोग उनपर इलज़ाम लगा कर अलग हो जाते, जिससे कि उनके साथ आ चुके या आ रहे लोगो में भ्रम फ़ैल सके। मगर मुहम्मद...
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