हाल-बेहाल बाजार-ऐ-दिल्ली

दिल्ली में पैदल चलने की आदत बनी रहती है, भला हो हमारे बाज़ारों का पांच मिनट का रास्ता आधा घण्टे में तय करने का मौका मिल जाता है। अगर आप दिल्ली से बाहर चलें जाएं तो भीड़भाड़ की आदत के कारण दिल लगता ही नहीं, ना दुकानों की चकाचैंध, ना हॉकर्स की चिल्ल-पौं... बोर होने से बचाने का पूरा इंतज़ाम...
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छूटना नहीं चाहिए निर्भया का गुनहगार

मानता हूँ कि कुछ चीज़ें संवैधानिक मज़बूरी में करनी पड़ती हैं, जैसे कि निर्भया केस में जघन्यय अपराध करने के बावजूद नाबालिग लड़के को अदालत ने फांसी देने अथवा जेल भेजने की जगह 3 साल के लिए बाल सुधर गृह में भेजा। जहाँ किसी मेहमान की तरह उसकी शिक्षा, खान-पान और सुरक्षा पर हज़ारों-लाखों रूपये का...
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प्रदुषण के ख़तरे पर सम-विषम फार्मूला और हमारी ज़िम्मेदारी

दिल्ली सरकार ने गाड़ियों को चलाने का सम-विषम फार्मूला सामने रखा, हो सकता है नाकामयाब रहे और यह भी हो सकता है कि कामयाब हो जाए... मगर हम लोग विषय की गंभीरता को समझने और कार पूल, सार्वजानिक परिवहन या इलेक्ट्रिक  इस्तेमाल करने की बात करने की जगह चुटकुले बना रहे हैं, कानून का तोड़ बताते फिर रहे...
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शे`र: रूठते हैं कभी मान जाते हैं....

रूठते हैं कभी मान जाते हैं कुछ ऐसे बेक़रार करते हैं जो बोलना है, बोलते ही नहीं वैसे बाते हज़ार करते है - शाहनवाज़ 'साहिल' फ़िलबदीह मुशायरा - 022 में आदित्य आर्य जी के मिसरे 'प्यार जो बेशुमार करते है' पर मेरे दो शे`र...
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अपने विचार थोपने और ख़ुद सज़ा देने वाली सोच का विरोध करिये

अपनी सोच दूसरों पर थोपने और ख़ुद से सज़ा देने की सोच गुंडागर्दी है और इसका जमकर विरोध किया जाना चाहिए। देश, पंथ या फिर धर्म इत्यादि में दिखावे की जगह दिल से मुहब्बत का जज़्बा होना चाहिए, दिखावा आम होने से लोग दूसरों पर अपनी राय को ज़बरदस्ती थोपने लगते हैं। इमोशनल ब्लैकमेल करके लोगों को इकठ्ठा करते...
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असहिष्णुता नई नहीं है बल्कि सरकार का रवैया नया है....

रामगोपाल वर्मा और अनुपम खेर साहब के कहने का मतलब है कि अगर एक "हिन्दू बहुल राष्ट्र" में कोई 'मुस्लिम' एक कामयाब 'फिल्म स्टार' बन सकता है तो वहां "कुलबुर्गी, पानसरे जैसे लेखकों की हत्या और बाकी लेखकों को इन जैसा हश्र करने", "गाय के मांस खाने के नाम पर मारे जाने वाली घटनाएं", "छेड़खानी / धर्मपरिवर्तन...
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'इस्लाम' किसी 'नाइंसाफी' को जायज़ नहीं ठहराता

इस्लाम में 'इंसाफ' बेहद अहम है, बल्कि इस्लामिक स्कॉलर्स मानते हैं कि रूह की तरह है, मतलब अगर 'इस्लाम' का कोई और नाम हो सकता है तो वोह 'इंसाफ' है। इसमें किसी भी तरह की छोटी सी भी 'नाइंसाफी' को जायज़ नहीं ठहराया जा सकता। जो लोग इस्लामिक बातों को तोड़-मरोड़ कर ऐसा करने की कोशिश करते हैं, दर-असल वोह कहीं...
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बेगुनाहों की मौत का बदला बेगुनाहों की हत्या करके नहीं लिया जाना चाहिए

क्या फ़्रांस के बेगुनाहों की मौत का बदला सीरिया के बेगुनाहों की हत्या करके लिया जा सकता है या लिया जाना चाहिए? गुनाह का बदला गुनहगारों से लिया जाना चाहिए ना कि बेगुनाहों से और दुनिया की किसी भी लड़ाई में आम नागरिकों के मारे जाने का समर्थन नहीं किया जाता है और ना ही किया जाना चाहिए। ISIS पर एक महीने...
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नफ़रत और आतंक का सामना विश्व को एकजुट होकर करना पड़ेगा

मासूमों के क़त्ल को किसी भी वजह से जायज़ ठहराना आतंकवाद का खुला समर्थन है... बहाने बताकर जायज़ ठहराने वालों की धूर्तता को पहचान लो, जाने-अनजाने यही लोग आतंक के पोषक हैं। बेगुनाहों के क़त्ल पर अगर-मगर करने वालों से दूरी बनाओ वर्ना पछताने का भी समय नहीं मिलेगा। नफरत और आतंक एक-दूसरे के पूरक हैं, इसलिए अगर...
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पुरुस्कार वापसी पर 'यूपीए की अन्ना आंदोलन वाली' गलती दोहरा रही है मोदी सरकार

देश के बुद्धिजीवियों के द्वारा पुरुस्कार वापसी को कांग्रेस प्रायोजित कहना बिलकुल उसी तरह की कुटिलता दर्शाता है जैसा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना आंदोलन के समय कांग्रेस सरकार ने उसे आर.एस.एस. (राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ) के द्वारा प्रायोजित बताया था। जबकि होना यह चाहिए कि अगर 'मुद्दा' सही है और खासतौर...
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चार 'अ'के कारण हारी भाजपा बिहार

मुझे लगता है कि बिहार में भाजपा की इस हार में 'असंवेदशीलता', 'आरक्षण', 'अमित शाह' और 'अखलाक़' ने मुख्य भूमिका निभाई। मतलब भाजपाई नेताओं की असंवेदनशील भाषणबाज़ी, आरक्षण के विरुद्ध मोहन भगवत का बयान, अमित शाह की घमंड भरी भाषा और अखलाक़ की मौत...
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क्या यह लोकतंत्र है?

हम 50-55 प्रतिशत वोटिंग पर खुश हो जाते हैं और तर्क देते हैं कि यह पहले से ज़्यादा है और उस पर 20-30 प्रतिशत वोट लेने वाले प्रतिनिधि नियुक्त हो जाते हैं... पर क्या इतने कम वोटों से चुना गया व्यक्ति वाकई में क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि इस सिनेरियो की जड़ में जाया जाए तो पता चलता है कि विजयी...
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न्याय की भावना से दूर होते हैं कट्टरपंथी

कट्टरपंथी चाहे हिन्दुस्तानी हों, पाकिस्तानी, बांग्लादेशी या फिर कहीं और के... इन सब का मिजाज़ एक ही होता है। इनमे मानने का जज़्बा नहीं होता, मनवाने का होता है। यह लोग अपने खिलाफ उठी आवाज़ को हरगिज़ बर्दाश्त नहीं कर सकते। न्याय का इनसे दूर का भी वास्ता नहीं होता और यह स्वयं सज़ा देने में विश्वास करते हैं। चाहे आस्तिक हों या नास्तिक यह लोग धर्म को केवल अपनी इगो शांत करने के लिए इस्तेमाल करते हैं, अगर...
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ईधी साहब से मानवता का सबक सीखना चाहिए

सिर्फ विरोधियों को ही नहीं बल्कि मुसलामानों को भी ईधी साहब से सीखना चाहिए कि ‪ इस्लाम‬ इंसानी हुक़ूक़ को ज़यादा अहमियत देना सिखाता है। दूसरों के हक़ अता करना और अपने हुक़ूक़ माफ़ करना सिखाता है... धैर्य, क्षमा और न्याय का हुक्म देता है। ईधी साहब के मानवता के सन्देश पर सिर्फ वाहवाही...
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फिर कोई ‪‎कुत्ता‬, कोई कुत्ते का पिल्ला हो गया...

क्या कहूँ हाकिम का यूँ ज़मीर ढिल्ला हो गया मिंटो-सेकिंडो में ही हर शेर बिल्ला हो गया इन्तख़ाबों में तो थे हम 'आँख के तारे' सभी फिर कोई ‪‎कुत्ता‬, कोई कुत्ते का पिल्ला हो गया - शाहनवाज़ सिद्दीक़ी...
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हमारे देशप्रेम का इससे बढ़कर और क्या सबूत होगा कि हमने देश से मुहब्बत को 'चुना' है!

जिन्होंने पाकिस्तान माँगा उन्हें दिया गया और वोह चले गए, जिन्हें देश से मुहब्बत थी उन्होंने ना माँगा और ना ही मांगने वालों का साथ दिया... और यह इस बात का सबूत भी है क्योंकि जो भी मुसलमान हिन्दुस्तान में रुके उन्होंने देश से मुहब्बत को चुना है, जबकि हम पर संदेह के ज़हर भरे तीर चलाने वाले और राष्ट्रद्रोह...
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अभिजीत ने दिखाया है गुलाम अली से भाईचारा :P

गायक अभिजीत के द्वारा गुलाम अली साहब को बेशर्म और डेंगू के मच्छर कहने पर नाराज़ मत होइए... ऐसा तो अक्सर होता है कि लोग 'दूसरों' को 'खुद' की तरह समझते हैं, मेरे भाई इसे ही तो '‎भाईचारा'‬ कहते हैं... :P  ...
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कहाँ हैं खुद को दिल्ली सरकार का मुखिया बताने वाले LG?

दिल्ली में डेंगू के प्रकोप के चलते मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी टीम लगातार कड़ी दौड़भाग करते नज़र आ रहे हैं, मगर स्वयं को दिल्ली सरकार का प्रमुख बताने वाले नजीब जंग पता नहीं कहाँ गायब हैं?... हाँ ऐसे समय में भी उनका अधिकारियों को मुख्यमंत्री का आर्डर ना मानने का फरमान ज़रूर दिखाई दिया।वहीँ...
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दहशतगरों के हाथ में 'इस्लाम'‬ नहीं है

नाहक़ के साथ दीन का ‪'‎पैग़ाम'‬ नहीं है दहशतगरों के हाथ में ‪'इस्लाम'‬ नहीं है उठ-उठ के मस्जिदों से गए हैं जो ‪'‎नमाज़ी‬' लौटेंगे अगली ‪अज़ाँ‬ पर, ‪'नाराज़'‬ नहीं हैं - Shahnawaz Siddiqui #‎Sher‬ ...
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आरक्षण का मक़सद

आरक्षण का मक़्सद गरीबी का उत्थान हरगिज़ नहीं है बल्कि सदियों से जानवरों जैसी ज़िल्लत झेल रही क़ौमों को बराबरी पर ला खड़ा करने की कोशिश है। और इस आधार पर मैं मुसलामानों को आरक्षण देने के ख़िलाफ़ हूँ क्योंकि इस्लाम ग़ैरबराबरी नहीं सिखाता और सभी लोग मस्जिदों में कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होते हैं। और फिर मुस्लिम...
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क्या आपको पटेल समुदाय के इस आरक्षण आंदोलन पर संदेह नहीं होता?

कोई भी सरकार इतनी भारी भीड़ होने के बावजूद इस तरह लोगों को भड़काने की कोशिश नहीं करती है, कहीं यह सब जानबूझ कर तो नहीं हो रहा है? सवाल यह भी है कि कम से कम ‪गुजरात‬ में तो ‪संघ‬ की मर्ज़ी के बिना पत्ता भी नहीं हिलता फिर यह तो‪ तूफ़ान‬ सरीखा है, आख़िर यह अंजाम तक कैसे पहुंचा कि ना तो संघ को...
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चालान के साथ चाल-चलन भी घर पहुंचा :P

एक बेचारा नोएडा एक्सप्रेस-वे पर कार से अपनी गर्लफ्रेंड के साथ आगरा जा रहा था (यह अलग बात है कि वोह शादी-शुदा है)।एक्सप्रेस-वे पर जब उसकी कार एक ट्रैफिक सिग्नल पर तेज गति से निकली तो सीसीटीवी कैमरे से फोटो खिंच गई। इसके बाद ई-चालान बना और उसके घर पहुंच गया। अब परेशानी यह हुई कि चालान उसकी पत्नी को...
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इस्लाम‬ की बुनियाद

दुनिया के शुरू से ही ‪इस्लाम‬ की बुनियाद तौहीद अर्थात "ला'इलाहा इल्लल्लाह"  है, जिसका तात्पर्य है कि इस ब्रह्माण्ड की हर चीज़ कुछ भी करने में ‪‎ईश्वर‬ की मोहताज है! मतलब 'सूर्य‬' रौशनी देने या ‪'पृथ्वी‬' जीवन देने में उसके हुक्म के मोहताज है, क्योंकि पॉवर सेंटर केवल एक ‎अल्लाह‬ है... इसका...
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'ॐ' और 'अल्लाह‬' में गज़ब की समानता

ॐ को अगर 90 डिग्री पर दाई ओर रोटेट किया जाए तो लफ्ज़ ‪#‎अल्लाह‬ बन जाता है!... आपका क्या कहना है...
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तो क्या भाजपा प्रशंसकों को भारतीय होने पर शर्म आती थी?

मतलब क्या प्रधानमन्त्री महोदय यह कहना चाहते हैं कि भाजपा प्रशंसकों को इस सरकार के आने से पहले ख़ुद के भारतीय होने पर शर्म आती थी?  अनेक कमियों के बावजूद हमारे देश की कंडीशंस हमेशा ऐसी रहीं हैं कि हम उसपर गर्व कर सकें! हालाँकि हम खुद भी देश में #Corruption, गरीबों / महिलाओं पर होने...
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इस्लाम का सबसे मज़बूत अमल मुहब्बत है!

हज़रत मुहम्मद (स.) ने मालूम किया कि दीन का सबसे मज़बूत अमल क्या है? आपके सहाबा (साथियों) ने जवाब दिया कि "नमाज़" आपने कहा "नहीं" सहाबा ने कहा "रोज़ा" आपने कहा "नहीं"सहाबा ने कहा "ज़कात"आपने कहा "नहीं"तो सबने कहा या रसूल्लाह (स.) फिर आप ही फरमाएं... तब आप (स.) ने जवाब दिया कि "इस्लाम का सबसे मज़बूत...
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किसी धार्मिक स्थल पर हमले का समर्थन घटिया सोच है?

विश्व हिंदू परिषद के संयुक्त महासचिव सुरेंद्र जैन का तात्पर्य है कि चर्च तोड़कर हनुमान मूर्ति इसलिए रखी गई क्योंकि जिस गांव में चर्च पर हमला हुआ है उसमें या उसके आसपास कोई ईसाई नहीं रहता... (function(d, s, id) { var js, fjs = d.getElementsByTagName(s)[0]; if (d.getElementById(id)) return; js...
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'चापलूस‬' व्यक्तित्व की दीमक होते हैं

जिस तरह ‪#‎दीमक‬ खामोशी के साथ हरे-भरे पेड़ को खोखला कर देती है, उसी तरह ‪#‎चापलूस‬ बड़े से बड़े व्यक्तित्व का नाश कर देते हैं। देखा जाए तो ‪#‎आलोचक‬ ही असल ‪#‎शुभचिंतक‬ होते है! Post by Shah Nawaz....
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विकास में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित होनी चाहिए

देश और मुस्लिम समाज के लिए ज़रूरी है कि तरक़्क़ी की कोशिशो में महिलाओं की और भी ज़्यादा भागीदारी सुनिश्चित की जाए और यह उनको उनके हुक़ूक़ से महरूम रखकर पॉसिबल नहीं हो सकता। (function(d, s, id) { var js, fjs = d.getElementsByTagName(s)[0]; if (d.getElementById(id)) return; js = d.createElement(s); js.id = id; js.src = "//connect.facebook.net/en_US/all.js#xfbml=1"; fjs.parentNode.insertBefore(js,...
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साम्प्रदायिकता 'भ्रष्टाचार' की ढाल है

दिल्ली नतीजों के गूढ़ में निहित हैं कि जनता आज भी सांप्रदायिक ताकतों की घिनौनी राजनीति के खिलाफ है। देश का 'आम आदमी' यह जान चुका है कि 'साम्प्रदायिकता' और कुछ नहीं बल्कि भ्रष्टाचार की ढाल है।  सम्प्रयदाय अथवा ज़ात-पात की राजनीति करने वाले हमें इन मुद्दों में घुमाए रखना चाहते हैं, जिससे कि...
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तेल का खेल

सरकार ने पिछले ढाई महीने में तीन बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई है, अगर यह एक्साइज ड्यूटी न बढ़ाई जाती तो पेट्रोल 5.75 रुपये और डीजल 4.50 रुपये और सस्ता होता। हाल के महीनों में क्रूड ऑयल के मंदी के दौर में पहुंचने के कारण इसकी कीमत में लगभग 37 पर्सेंट गिरावट आई है, मगर देश में अभी तक पेट्रोल की कीमतों...
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